- Did you know: This verse was described by Lord Sri Krishna in Mahabharata when Arjuna had refused to fight in Kurukshetra.
यह श्लोक हिन्दू ग्रंथ गीता का प्रमुख श्लोकों में से एक है। यह श्लोक गीता के अध्याय 4 का श्लोक 7 और 8 है। यह श्लोक का वर्णन महाभारत में भगवान श्रीकृष्ण ने किया था जब अर्जुन ने कुरूक्षेत्र में युद्ध करने से मना कर दिया था।
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत ।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥४-७॥
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् ।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ॥४-८॥
शब्दार्थ-
मै प्रकट होता हूं, मैं आता हूं, जब जब धर्म की हानि होती है, तब तब मैं आता हूं, जब जब अधर्म बढता है तब तब मैं आता हूं, सज्जन लोगों की रक्षा के लिए मै आता हूं, दुष्टों के विनाश करने के लिए मैं आता हूं, धर्म की स्थापना के लिए में आता हूं और युग युग में जन्म लेता हूं।
शब्दार्थ-—
श्लोक 7 :
यदा= जब – whenever
यदा =जब – whenever
हि = वास्तव में
धर्मस्य = धर्म की – of religion
ग्लानि: = हानि
भवति = होती है
भारत = हे भारत
अभ्युत्थानम् = वृद्धि
अधर्मस्य = अधर्म की
तदा = तब तब
आत्मानं = अपने रूप को रचता हूं
सृजामि = लोगों के सम्मुख प्रकट होता हूँ
अहम् = मैं
श्लोक 8
परित्राणाय= साधु पुरुषों का
साधूनां = उद्धार करने के लिए
विनाशाय = विनाश करने के लिए
च = और
दुष्कृताम् = पापकर्म करने वालों का
धर्मसंस्थापन अर्थाय = धर्मकी अच्छी तरह से स्थापना करने के लिए
सम्भवामि = प्रकट हुआ करता हूं
युगे युगे = युग-युग में
Some of the suffixes in sanskrit… प्रत्यय
Noun + स्य = सिंहस्य(like a lion) , अमित्रस्य(like a without friend) ,मूर्खस्य(like a stupid person) , मृत्यस्य (like death) , अधर्मस्य ( of crime ) ,रामस्य , पुत्रस्य , कृष्णस्य
Word + नान् = बंधनान्
Word + तात् = मामृतात्
Word + म् = मित्रम् ,सुखम्
Word + ति = सोचति , द्वेष्ति
Word + त्वा = गत्वा , कृत्वा , नत्वा , पीत्वा
Word + उम् = कृर्तुम् , जातुम् , नन्तुम्
Word + अः = पठितः , दतः , जातः
Word + वान् = लिखित्वान् ,गतवान् , नतवान् , जातवान् ,
Word + व्यः = पठितव्यः , गन्तव्यः , कर्तव्यः , खादित्व्यः
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